जल प्रबंधन

कुआँ और रेहट से सिंचाई

बारिश कम होने से जिले के किसान परेशान हैं। जिसकी वजह से जिले में सिंचाई की समस्या बढ़ती जा रही है। जिसका मुख्य कारण यह भी है कि किसान अपने परंपरागत सिंचाई के साधनों का उपयोग नहीं कर रहे और पूरी तरह से नहरों और और सरकारी सहायता पर अश्रित होते जा रहे हैं। एक समय ऐसा भी था जब किसानों के खेतों में नहरों का पानी नही पहुंच पाता था। तो किसान अपने खेतों के समीप एक कुआं खोद कर उसमें लोहे की बनी रेहट नामक मशीन लगा देते थे और अपनी फसल की सिंचाई कर लेते थे। परन्तु धीरे -धीरे कुआं की संख्या में भी कमी आती गयी। सिंचाई का एक साधन रेहट किसानों से दूर होता गया। कहीं- कहीं यह मशीन देखने को मिलती है। लेकिन वह

सिंचाई जल की गुणवत्ता

सिंचाई जल की गुणता सामान्यतया उसमें उपस्थित साद (सिल्ट) एवं लवणों आदि तत्वों पर निर्भर करती है। सिंचाई के लिए उपयोग किए जाने वाले जल में प्रायः कुछ तत्व निश्चित मात्रा में घुले होत हैं जिनकों सामान्यतयाः लवण कहते हैं। मूल रूप से घुले हुए पदार्थों, लवणों खनिजों आदि की प्रकृति एवं गुणवत्ता, प्राप्त होने वाले जल के स्रोत पर निर्भर करती है। जल की गुणता उचित न होने पर कृषि उत्पादन पर उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए जल को उपयोग करने से पहले उसकी गुणता की जांच करना आवश्यक है, जिससे कृषि में भरपूर उत्पादन लिया जा सके।

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