जैव उर्वरक

जैव उवर्रकों का फसलों/सब्जियों में उपयोग एवं लाभ

आज कृषि उत्पादन को लगातार बढ़ाना कृषि वैज्ञानिकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। सघन खेती से मृदा में पोषक तत्व धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं। इस कमी को रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से पूरा किया जाता है। अधिकांश किसान संतृप्त मात्रा में रासायनिक खाद के उपयोग के बावजूद इष्टतम उत्पादन लेने से वंचित हैं। अतः रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से होने वाला लाभ घटता जा रहा है। साथ ही मृदा स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर दिखाई पड़ रहा है, जिससे देश में स्थाई खेती हेतु खतरा पैदा हो रहा है। फसलों द्वारा भूमि से लिये जाने वाले प्राथमिक मुख्य पंोषक तत्वों- नत्रजन, सुपर फास्फेट एवं पोटाश में से नत्रजन का सर्वाधिक अवशोष

भूमि की उत्‍पादन क्षमता बढाने में जैव उर्वरकों का महत्‍व

रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से उपज में वृद्धि तो होती है परन्‍तू अधिक प्रयोग से मृदा की उर्वरता तथा संरचना पर भी प्रतिकूल प्रभाव पडता है इसलिए रासायनिक उर्वरकों (Chemical fertilizers) के साथ साथ जैव उर्वरकों (Bio-fertilizers) के प्रयोग की सम्‍भावनाएं बढ रही हैं।

जैव उर्वरकों के प्रयोग से फसल को पोषक तत्‍वों की आपूर्ति होने के साथ मृदा उर्वरता भी स्थिर बनी रहती है। जैव उर्वकों का प्रयोग रासायनिक उर्वरकों के साथ करने से रासायनिक उर्वकों की क्षमता बढती है जिससे उपज में वृद्धि होती है। 

जैव उर्वरक

जैव उर्वरक जीवाणु खाद है। इसमें मौजूद लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु वायु-मंडल में पहले से विद्यमान नाइट्रोजन फसल को उपलब्ध करवाते हैं और मिट्टी में मौजूद अघुलनशील फास्फोरस को पानी में घुलनशील बनाकर पौधों को देते हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान से यह सिद्ध हुआ है कि जैविक खाद के उपयोग से 30 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर भूमि को मिलती है और उपज 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इसी तरह फास्फो बेक्टीरिया और माइकोराईजा उर्वरक के उपयोग से खेत में फॉस्फोरस की उपलब्धता में 20 से 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती है। रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने के बदले अगर जैविक खाद का उपयोग किया जाता है तो उत्पादकता में

Pages