जैविक खाद

एक उत्तम कोटि का खाद कृमि खाद

VermiCompost, Compost

अपशिष्ट या कूड़ा-करकट का मतलब है इधर-उधर बिखरे हुए संसाधन। बड़ी संख्या में कार्बनिक पदार्थ कृषि गतिविधियों, डेयरी फार्म और पशुओं से प्राप्त होते हैं जिसे घर के बाहर एक कोने में जमा किया जाता है। जहाँ वह सड़-गल कर दुर्गंध फैलाता है। इस महत्वपूर्ण संसाधन को मूल्य आधारित तैयार माल के रूप में अर्थात् खाद के रूप में परिवर्तित कर उपयोग में लाया जा सकता है। कार्बनिक अपशिष्ट का खाद के रूप में परिवर्तन का मुख्य उद्देश्य केवल ठोस अपशिष्ट का निपटान करना ही नहीं अपितु एक उत्तम कोटि का खाद भी तैयार करना है जो हमारे खेत को उचित पोषक तत्व प्रदान करें।
 

जैविक खेती के लिए नाडेप कम्पोस्ट खाद और अमृत जल बनाने की विधिया

जैविक खेती सस्ती तो है ही , जीवन और जमीन को बचाने के लिए भी जरुरी है | 1960 से 1990 तक कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए जिस तेजी से और जिस तरह रासायनिक खादों और कीटनाशको का इस्तेमाल किया गया है उसने हमारे खेतो और जीवन दोनों को संकट में डाल दिया है | तब पर्यावरण की अनदेखी की गयी थी जिसकी कीमत हम आज चूका रहे है |

नाइट्रोजनी जैविक खाद

नाइट्रोजनी जैविक खाद वे जैविक खाद होती है जो मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाती है। प्रकृति में कई ऐसे जीवाणु और नील हरित शैवाल हैं जो वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करते हैं। राइजोबियम (Rhizobium), एज़ोटोबैक्टर (Azotobacter), बेजरिंकिया (Beijrinkia), क्लॉस्ट्रिडियम (Clostridium), रोडोस्पाइरिलम (Rhodospirillum), हर्बास्पाइरिलम (Herbaspirillum) और एज़ोस्पाइरिलम (Azospirillum) नाइट्रोजन यौगिकीकरण करने वाले कुछ महत्वपूर्ण जीवाणु हैं।राइज़ोबियम जीवाणु दलहनी वनस्पतियों की जड़ों में सहजीवी रूप में रहकर वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करते हैं।

हरी खाद के लाभ

  • हरी खाद को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की भौतिक शारीरिक स्थिति में सुधार होता है ।
  • हरी खाद से मृदा उर्वरता की भरपाई होती है
  • न्यूट्रीयन् टअस की उपलब्धता को बढ़ाता है
  • सूक्ष्म जीवाणुओं की गतिविधियों को बढ़ाता है
  • मिट्टी की संरचना में सुधार होने के कारण फसल की जड़ों का फैलाव अच्छा होता है ।
  • हरी खाद के लिए उपयोग किये गये फलीदार पौधे वातावरण से नाइट्रोजन व्यवस्थित करके नोडयूल्ज में जमा करते हैं जिससे भूमि की नाइट्रोजन शक्ति बढ़ती है ।

नाडेप कम्पोस्ट

कम्पोस्ट बनाने का एक न्य विकसित तरीका नाडेप विधि है जिसे महारास्ट्र के कृषक नारायण राव पांडरी पाडे (नाडेप काका) ने विकसित किया है | नाडेप विधि में कम्पोस्ट खाद जमीन की सतह का टांका बनाकर उसमें प्रक्षेत्र अवशेष तथा बराबर मात्रा में खेती की मिट्टी तथा गोबर को मिलाकर बनाया जाता है | इस विधि से 1 किलो गोबर से 30 किलो खाद चार माह में बनकर तैयार हो जाती है | नाडेप कम्पोस्ट निम्न प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है |

बायोगैस स्लरी

BioGas Slarry

बायोगैस संयंत्र में गोबर गैस की पाचन क्रिया के बाद 25 प्रतिशत ठोस पदार्थ रूपान्तरण गैस के रूप में होता है और 75 प्रतिशत ठोस पदार्थ का रूपान्तरण खाद के रूप में होता हैं। जिसे बायोगैस स्लरी कहा जाता हैं दो घनमीटर के बायोगैस संयंत्र में 50 किलोग्राम प्रतिदिन या 18.25 टन गोबर एक वर्ष में डाला जाता है। उस गोबर में 80 प्रतिशत नमी युक्त करीब 10 टन बायोगैस स्लेरी का खाद प्राप्त होता हैं। ये खेती के लिये अति उत्तम खाद होता है। इसमें 1.5 से 2 % नत्रजन, 1 % स्फुर एवं 1 % पोटाश होता हैं।

जैविक खादों का मृदा उर्वरता और फसल उत्पादन में महत्व

Organic Fertilizer

जैविक खाद● जैविक खादों के प्रयोग से मृदा का जैविक स्तर बढ़ता है, जिससे लाभकारी जीवाणुओं की संख्या बढ़ जाती है और मृदा काफी उपजाऊ बनी रहती है।
● जैविक खाद पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक खनिज पदार्थ प्रदान कराते हैं, जो मृदा में मौजूद सूक्ष्म जीवों के द्वारा पौधों को मिलते हैं जिससे पौधों स्वस्थ बनते हैं और उत्पादन बढ़ता है। 
● रासायनिक खादों के मुकाबले जैविक खाद सस्ते, टिकाऊ तथा बनाने में आसान होते हैं।
इनके प्रयोग से मृदा में ह्यूमस की बढ़ोतरी होती है व मृदा की भौतिक दशा में सुधार होता है।

घन जीवामृत

Ghan Jeevamrit

घन जीवामृत, जीवाणुयुक्त सूखी खाद है जिसे बुवाई के समय या पानी के तीन दिन बाद भी दे सकते हैं। बनाने की विधि इस प्रकार है - गोबर 100 किलो, गुड़ 1 किलो, आटा दलहन 1 किलो, मिट्टी जीवाणुयुक्त 100 ग्राम उपर्युक्त सामग्री में इतना गौमूत्र (लगभग 5 ली0) मिलायें जिससे हलवा/पेस्ट जैसा बन जाये, इसे 48 घंटे छाया में बोरी से ढ़ककर रखें। इसके बाद छाया में ही फैलाकर सुखा लें फिर बारीक करके बोरी में भरें। इसका 6 माह तक प्रयोग कर सकते हैं। एक एकड़ खेत में 1 कुन्तल तैयार घन जीवामृत देना चाहिए।

जीवाणु खाद: पोषक तत्व प्रबंधन का एक सस्ता एवं उत्तम स्रोत

Culture Fertilizer

फसल उत्पादन मे पोषक तत्वों का महत्वपूर्ण स्थान है, इनकी आपूर्ति के लिए रासायनिक उर्वरक, देसी खाद, जीवाणु खाद, कम्पोस्ट आदि का उपयोग मुख्य रूप से किया जाता है ι उर्वरको की बढ़ती कीमतें, माँग एवं पूर्ति के बीच का अंतर, छोटे व सीमान्त किसानो की सीमित क्रय शक्ति एवं ऊर्जा की कमी

जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं के कारण आवश्यक है कि पादप पोषण के कुछ ऐसे सार्थक एवं सस्ते वैकल्पिक स्त्रोत हो जो सस्ता होने के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषक भी न हो, ऐसे मे जीवाणु खाद को नकारा नहीं जा सकता है ι

पौध बढवार टॉनिक

गोमूत्र : गोमूत्र में कीटों को भगाने एवं पौध बढवार (टॉनिक) के रूप में कार्य करने की शक्ति है

एक स्प्रे पंप में 250 मिली लीटर गोमूत्र प्रति 16 लीटर पानी में डालें | (कददू वर्गीय फसलों में 150 मिली लीटर गोमूत्र प्रति 16 लीटर पानी में डालें |

मटका खाद : एक मटका खाद को 300 लीटर पानी में अच्छे से घोलकर इस विलयन को पौधे के पास जमीन पर देने से अच्छे परिणाम मिलते है (1 से 2 मटका प्रति एकड़) यदि इसी विलयन को सूती कपडे से छानकर फसलों पर छिड़कते है तो अधिक फूल व् फल लगते है |

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