जैविक खाद

जैविक खेती की मुख्य आवश्यकता "केंचुआ खाद"

आज देश में जैविक खेती की आवश्यकता है, पिछले अंक में इस कम्पोस्ट खाद बनाने के आधार बताये गए थे, इस अंक में आगे चलते हैं, सबसे पहले ये जानना जरूरी है की केंचुआ खाद में कौन-कौन से तत्व पाए जाते हैं, तो लीजिये ......
नाइट्रोजन-- १.२५ से २.५ %
फास्फोरस -- ०.७५ से १.६%
पोटाश ---- ०.५ से १.१ %
कैल्सियम-- ३.० से ४.०%
मैग्निसियम- ३.० से ४.०
सल्फर - १३ पी.पी.एम्
लोहा -४५ से ५० पी.पी.एम्
जस्ता -२५ से ५० पी.पी.एम्
ताम्बा -०४ से ०५ पी.पी.एम्
मैग्नीज -६० से ७० पी.पी.एम्
पी.एच. -७ से ७.८०
कार्बन -१२:१

पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद : वर्मीकम्पोस्ट

वर्मीकम्पोस्ट (vermicompost) एक ऐसी खाद हैं, जिसमें विशेष प्रजाति के केंचुओं द्वारा बनाई जाती है। केंचुओं द्वारा गोबर एंव कचरे को खा कर, मल द्वारा जो चाय की पत्ती जैसा पदार्थ बनता हैं। यही वर्मीकम्पोस्ट हैं। 

आदर्श हरी खाद

आदर्श हरी खाद में निम्नलिखित गुण होने चाहिए

•           उगाने का न्यूनतम खर्च

•           न्यूनतम सिंचाई आवश्यकता

•           कम से कम पादम संरक्षण

•           कम समय में अधिक मात्रा में हरी खाद प्रदान कर सक

•           विपरीत परिस्थितियों  में भी उगने की क्षमता हो

•           जो खरपतवारों को दबाते हुए जल्दी बढ़त प्राप्त करे

•           जो उपलब्ध वातावरण का प्रयोग करते हुए अधिकतम उपज दे ।

हरी खाद बनाने के लिये अनुकूल फसले :

किसान स्वंय खाद घर में बना सकता है कम से कम खर्च में

Jeevamrit

खाद बनाने कि विधि ।
एक सरल सूत्र  जिसको भारत में पिछले 12-15 वषों में हजारो किसानों ने अपनाया है और बहुत लाभ उनको हुआ है। एक एकड़ खेत के लिए किसी भी फसल के लिए खाद बानाने कि विधि ।
1) एक बार में 15 किलो गोबर लगता है और ये गोबर किसी भी देसी गौमाता या देसी बैल का ही होना चाहियें। विदेशी या जर्सी गायें का नहीं होना चाहियें ।
2) इसमें मिलायें 15 लीटर मूत्र, उसी जानवर का जिसका गोबर लिया है । दोनों मिला लीजिए प्लास्टिक के एक ड्रम में रख दें ।

अच्छी कम्पोस्ट किस प्रकार तैयार करें?

Compost

कम्पोस्ट बनाने से पहले फार्म के जो भी कचरा उपलब्ध हों इकट्ठा कर लिया जाता है उस सारे को आपस में मिला दिया जाता है| फिर 15 से 20 फुट लम्बा, 5-6 फुट चौड़ा, 3-3 ½ फुट गहरा गड्डा बना लिया जाता है फिर कचरे कि एक फुट गहरी तह बिछा दी जाती है फिर उसे गोबर के घोल से अच्छी तरह गीला कर दिया जाता है| यही क्रम तब तक अपनाया जाता है जब तक कि कचरे का स्तर भूमि की सतह से 2-2 ½ फुट ऊँचा ना हों जाए| फिर ऊपर से इसे मिट्टी से ढक दिया जाता है| यदि गर्मी में गड्डा भरा हों तो 15-20 दिन के अन्तर पर 1-2 बार गड्डे में पानी छोड़ देना चाहिए ताकि कचरे को गलाने के लिए पर्याप्त नमी बनी रहे| वर्षा ऋतु तथा जाड़ोंमें पानी डालने

सी पी पी

सी पी पी ( Cow Pat Pit) या गाय के ताजे गोबर गोबर की खाद :-

जगह का चुनाव:-
ऐसे स्थान का चुनाव करें जहाँ पानी जमा न होता हो एवं बरसात का पानी आसानी से निकल जाये। इसे किसी छायादार पेड़ के नीचे न बनायें। किसी कुएँ या तालाब के आस-पास बनायें। बनाने की जगह कोई नजदीक कोई विषैले पदार्थ या प्रदुषण न हो।

संसाधन: -
गाय का गोबर 70-80 किलोग्राम
अंडे का छिलका( पिसा हुआ) – 200 ग्राम
पत्थर का चूर्ण- 200 ग्राम
बायोडायनामिक कम्पोस्ट – 3 सेट
जला हुआ ईटा- 200 नम्बर
जूट का बोरा – एक

जीवामृत

(अ) घन जीवामृत (एक एकड़ खेत के लिए)

सामग्री :-
1. 100 किलोग्राम गाय का गोबर
2. 1 किलोग्राम गुड/फलों का गुदा की चटनी
3. 2 किलोग्राम बेसन (चना, उड़द, अरहर, मूंग)
4. 50 ग्राम मेड़ या जंगल की मिट्टी 
5. 1 लीटर गौमूत्र

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