टमाटर की पौध तैयार करना

टमाटर की पौध तैयार करना
पौध तैयार करने के लिये जमीन की सतह से 15 से 20 सेन्टी मीटर ऊचाई की क्यारी बनाकर इसमे बीज की बुवाई करते है। बीज की बुवाई करते समय बीज को मिट्टी मे ढेड से दो सेन्टीमीटर गहराई मे लगाते है तथा पक्तियों में बुवाई करते है। बीज की बुवाई के बाद क्यारी की ऊपरी सतह पर सडी हुई गोबर की खाद की पतली परत डालते है। तेज धूप, बरसात व ठंड से बचाने के लिए घास फूस से क्यारी को ढक देते है।  पूर्ण रूप से बीज अंकुरित हो जाने पर घास फूस हटा देना चाहिये।
पौध की रोपाई
जब पौध पांच से छः पत्ती की हो जाए तो इसे 60 सेन्टी मीटर चाौडी तथा जमीन की सतह से 20 सेन्टी मीटर ऊंची उठी हुई क्यारिया बनाकर इन पर रोपाई करते है। क्यारियो के दोनो तरफ 20 सेन्टी मीटर चैडी नालिया बनाते है। क्यारियो पर पौध की रोपाई करते समय पौधे से पौधे की दूरी 30 सेन्टी मीटर रखते है।
खेत की सिचांई
किसान भाईयो टमाटर की फसल के लिये पहली सिचांई पौध रोपई के बाद की जाती है। इसके बाद फसल की आवश्यकता अनुसार समय-समय पर सिचांई करते रहना चाहिये।
खर पतवार नियन्त्रण तथा निराई-गुडाई
टमाटर क् अच्छे उत्पादन के लिए समय-समय पर निराई-गुडाई करना चाहिये।
पहली निराई पौध रोपण के 20 दिन बाद करे। तथा दूसरी निराई पौध रोपण के 40 दिन बाद करना चाहिये।
फसल सुरक्षा तथा रोग से बचाव
किसान भाईये टमाटर की फसल मे लगने वाले रोग तथा उनका बचाव निम्न प्रकार है।
आद्र गलन ‘‘ डैम्पिंक आफ → आद्र गलन टमाटर की फसल का प्रमुख रोग है। इसके बचाव के लिए बीज को बुवाई से पूर्व कैपटाम व धीरम से उपचारित करना चाहिये। अगैती झुलसा- कापर आक्सी क्लोराइड की तीन ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल कर झिडकाव करना चाहिये।
पत्ती मोड विषाणु रोग→ पत्ती मोड विषाणु रोग मे सर्वप्रथम रोग ग्रस्त पौधे को उखाड कर जला देना चाहिये तथा मोनोक्रोटोफास दवा की दो मिली ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से 15 दिन के अन्तराल पर छिडकाव करना चाहिये।
टमाटर की प्रमुख प्रजातियां
काशी अमृत,काशी अनुपम,पूसा,स्र्वण वैभव,अविनाश-2 ,रूपाली आदि उपज- 500 से 700 कुन्तल प्रति हेक्टेयर बीज दर- 300 से 450 ग्राम प्रति हेक्टेयर 
फसल तैयार होने की अवधि → लगभग60 से 90 दिन मे टमाटर की फसल तैयार हो जाती है। जिसके के बाद किसान भाई फलो की तुडाई शुरू कर देते है।