भण्डारण

धान की कटाई, मड़ाई, सुखाई एवं भण्डारण कैसे करे

Crop Storage

विश्व में भारत धान उत्पादन मे चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। देश मे लगभग 50 प्रतिशत से अधिक लोग चावल का उपयोग करते हैं। परंतु कटाई से लेकर भंडारण तक लगभग 10 प्रतिशत धान की क्षति हो जाती है। कटाई एवं इसके उपरांत धान में होने वाली क्षति को कम करने की आवश्यकता आज के समय में पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह पाया गया है कि कटाई, मड़ाई, सुखाना एवं भण्डारण के दौरान क्षति अधिक होती है। इस क्षति से बचने के लिए वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करना जरूरी है। इन्हीं कुछ विधियों का विवरण यहां प्रस्तुत किया गया है।

धान का भण्डारण

वर्ष भर धान की उपलब्धता बनी रहे इसके लिये इसका उचित भंडारण जरूरी है। भण्डारण के पूर्व धान में नमी की मात्रा सुरक्षित करनी चाहिए। लम्बी अवधि के भण्डारण हेतु नमी की मात्रा 12 प्रतिशत एवं अल्पावधि भण्डारण हेतु 14 प्रतिशत होनी चाहिए। भण्डारण से पहले या बाद मे भंडारित कीटो से बचाव का भी प्रबंध करना आवश्यक है। भण्डारण हेतु विभिन्न आकारों, किस्मों एवं सामाग्रियों के बने पात्र प्रयोग किए जाते हैं। ये मिट्टी, लकड़ी, बांस, जूट की बोऱियों, ईंटों कपड़ो आदि जैसी स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री से बनाए जाते हैं। यद्यपि ऐसे पात्रों में लम्बी अवधि हेतु भण्डारण संभव नहीं होता है क्योंकि इनमें वायुरोधक क्षमता