कीट के प्रकार

"पतली कमर पर ढुंगे पै चोटी कोन्या !! सै कुम्हारी पर कुम्हारों आली कोन्या !!"

असल में यह तो भीरड़-ततैयों वाले कुनबे की सै। अपना जापा काढण ताहि यह ततैया चिकनी मिटटी से छोटे-छोटे मटकों का निर्माण करती है। इसीलिए किसानों ने इसका नाम कुम्हारी रख लिया। वैसे तो इस ततैया की दुनिया भर में सैकड़ों प्रजातीय पाई जाती होंगी पर निडाना की कपास व् धान की फसल में तो अभी तक किसानों ने यही एक प्रजाति देखी है। यह कीट एकांकी जीवन जीने का आदि है मतलब समूह की बजाय अकेले-अकेले रहना पसंद करता है। काली, पीली व् गुलाबी छटाओं वाली इस ततैया की शारीरिक लम्बाई तकरीबन 15 -17  मी.मी.

लाल मटकू - एक कीटनाशी बुग्ड़ा

कपास की फसल में कच्चे बीजों से तेल पीने वाला एक बदबूदार कीड़ा है लाल बनिया जिसका शिकार करने वाले कीड़े इस प्रकृति में बहुत कम हैं. इन्हीं में से एक कुशल शिकारी है यह लाल- मटकू जी हाँ! सरसरी तौर पर देखने से तो यह बुग्ड़ा भी लाल बनिये जैसा ही नजर आता है. आये भी क्यों नही? दोनों का वंशक्रम Heteroptera व् कुनबा Pyrrhocoridae एक ही जो ठहरा. कीट विज्ञानियों की बोली में इस लाल- मटकू का नाम है: Antilochus cocqueberti.माध्यम आकार के इस बुग्ड़े का रंग कहीं से लाल और कहीं से काला होता है पर ये दोनों रंग होते है खूब चटकीले. इसके शारीर की बनावट लम्बौत्रिय अंडाकार होती है.

Lal Matku

कीट के प्रकार

कृषि में कीटों को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है|

१- मित्र कीट २-शत्रु कीट 

मित्र कीट अधिकांशतः मांसाहारी होते हैं, ये परजीवी कीट होते हैं जो किसी दुसरे कीट पर आश्रित रहते हैं. ये हमारे शत्रु कीटों को को नष्ट करने में सहायक होते हैं. इन्हें हम मित्र कीट कहते हैं|

शत्रु कीट वो होते हैं जो अधिकांशतः शाकाहारी होते हैं, ये कीट हमारी फसलों पर आश्रित होते हैं तथा ये फसल के विभिन्न भागों को अपना भोजन बनाते हैं और हमारी फसलों को भारी नुकसान भी पहुंचाते हैं.