बायो गैस घोल

बायो गैस संयंत्र में जीवाणुओं द्वारा गोबर के अवातीय विघटन से प्राप्त घोल की खाद की उर्वरक क्षमता , सवातीय विघटन द्वारा उत्पन्न खाद के मुकाबले में अधिक उपयोगी है . इसमे पानी की अधिक (% 90) के कारण इसे निर्जलीकरण की आवश्यकता होती है मात्रा , यह प्रक्रिया धुप में सुखाने से लेकर यांत्रिक क्रियाओ जिनसे विभिन्न तरीकों से संपन्न की है जाती .

1. रेत की तह का घोल को सुखाने , अवसादन और अवशोषण तथा शुष्क कार्बनिक कचरा और उसके निश्यन्दन में प्रयोग को काफी उपयोगी पाया है गया .

2. धुप में सुखाने के दौरान नत्रजन के ह्रास को निम्न स्टार के एपेताईट या सिंगल सुपर फास्फेट के इस्तेमाल द्वारा कम किया जा सकता है . 10-20 दिनों के अवसादन के बाद सतही पदार्थ को ऊपर से तथा ताल में जामे ठोस सलज को नीचे से निकाला जाता है .

3. निस्पंदन टैंक द्वारा भी इसे सुखाया जा सकता है .

इसमे टूटी पत्तियों , लकडी का बुरादा , चारकोल बुरादे जिनसे शुष्क कार्बनिक कचरों को बार - बार भिगोकर और सुखोकर अवशोषक के रूप में प्रयोग से खाद की गुणवत्ता में वृद्धि होती है . सामान्यत इसमे 1.0-1.5 % नत्रजन , स्फुर तथा 0.7-1.0 % 0.8-1.0 % की मात्रा उपलब्ध होती है . बायो गैस घोल को सुखाने के बाद इसे असिंचित खेती में लगभग क्विंटल 500 / हक्टेयर एवं सिंचित खेती में 1000 हैक्टेयर क्विंटल / की मात्रा में प्रयोग करने से उत्पादन में लगभग 10-20% की बढ़त सम्भव है . इस खाद में मुख्य तत्वों के अतिरिक्त सूक्ष्म पोषक तत्व एवं हयूमस भी होता है . बायो गैस घोल में नीम , अरंडी इत्यादि के मिश्रण से खाद की पोषक क्षमता बढ़ जाती है जिससे यह न केवल एक अच्छी खाद के रूप में काम करते है अपितु नाशी कीटों की रोकथाम में भी कारगर है होती .

फार्म खाद के फायदे

सवातीय विघटित खाद या फार्म खाद के ऊपर बायो गैस घोल के प्रयोग के फायदे इस प्रकार : है -

1. यह कम से कम समय में तैयार हो जाता है .

2. कार्बनिक तत्वों की अधिक मात्रा होती है , विघटन के दौरान कार्बनिक तत्वों का कम ह्रास होता है , इसलिए कार्बनिक कार्बन की अधिक मात्रा बनी है रहती .

3. विघटन के दौरान नाइट्रोजन का न्यूनतम ह्रास , अतः उपलब्ध नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है .

4. हयूमस पदार्थ की अधिकता के कारण , मिट्टी के जीवाणुओं की तुलना में बेहतर वृद्धि में सहायक हैं होते .

5. विघटन के दौरान कोई दुर्गन्ध नही निकलती .

6. खरपतवार बीजों , हानिकारक फफूंदियों एवं कीडों को नहीं पनपने है देता .

7. चूंकि इसकी पानी संरक्षण क्षमता अधिक है इसलिए यह वर्षा पर आधारित फसलों के लिए उपयोगी है .

एक अच्छी गुणवत्ता वाली जैविक खाद के संघटक

1. - हाइड्रोजन आयन सांद्रता - 6.5-7.5

2. - कार्बनिक कार्बन - 20-25%

3. - 1.5-2 % नाइट्रोजन

4. - 1-2% फास्फोरस

5. - 1-2% पोटेशियम

6. - 1-3 % कैल्शियम

7. - 1-2% मग्निशियम

8. - < 1% सल्फर

9. - 15-20 % नमी

10. - कार्बन नाइट्रोजन ( अनुपात ) - 15-20:1

11. - कॉपर , जिंक , मेगनीज और लोहा - 200 पी पी एम

12. - रोगजनक जीवाणु नहीं होना चाहिए .

13. - सीसा इत्यादि जैसे भरी धातु नहीं होने चाहिए .